RES के SDO ऋषिकांत तिवारी 15,000 की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार
सरगुजा में भ्रष्टाचार का नेटवर्क उजागर RES अधिकारी की कुर्सी अब जांच के घेरे में
आदित्य गुप्ता
सूरजपुर/अंबिकापुर। सरगुजा संभाग में रिश्वतखोर अफसरों पर एसीबी की लगातार कार्रवाई के बीच बुधवार को एक और बड़ा मामला सामने आया है। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (RES) विभाग के अनुविभागीय अधिकारी ऋषिकांत तिवारी को 15,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रदेश में पहले से ही चल रही शासकीय लापरवाही और “शासन का दामाद” जैसी मानसिकता के बीच यह घटना आम नागरिकों की पीड़ा और सिस्टम की हकीकत दोनों को उजागर करती है।
मामला कैसे सामने आया?
ग्राम नवापाराखुर्द निवासी दिसंबर सिंह ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत अपने खेत में तालाब का निर्माण कराया था।
इस निर्माण के सत्यापन और रिपोर्ट तैयार करने के नाम पर SDO ऋषिकांत तिवारी ने उससे 15,000 रुपये रिश्वत की मांग कर डाली।
हितग्राही परेशान था, मजबूर था…और अंत में उसने हिम्मत दिखाते हुए अंबिकापुर ACB में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत की पुष्टि के बाद ACB टीम ने 12 नवंबर 2025 को पूरे मामले की ट्रैप कार्रवाई को अंजाम दिया।
एसीबी की सटीक कार्रवाई
ACB टीम ने बुधवार को प्रेमनगर में आरोपी अधिकारी के निवास पर छापा मारा।
जैसे ही प्रार्थी ने तय राशि उन्हें सौंपी, टीम ने तुरंत SDO तिवारी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद घर की तलाशी में जो मिला, उसने पूरे विभाग में हलचल मचा दी
बरामद वस्तुएँ ₹2,27,500 नकद जमीन के दर्जनों दस्तावेज बैंक पासबुक और निवेश संबंधी कागज़ात बीमा दस्तावेज
सोना-चांदी के जेवर ACB का मानना है कि यह रकम सिर्फ एक हितग्राही की नहीं, बल्कि कई लोगों से की गई अवैध वसूली का परिणाम हो सकती है।
मामला दर्ज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई
आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7 के तहत अपराध दर्ज किया गया है।
ACB ने आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है और जमीन व लेनदेन से जुड़े दस्तावेजों की भी गहन जांच की जा रही है।
सरगुजा संभाग में भ्रष्टाचार की ‘रूटीन कहानी’ बन चुका है रिश्वतखोरी का सिस्टम
सरगुजा क्षेत्र में यह पहला मामला नहीं है।
कई विभागों में अधिकारी: काम न करने के लिए वेतन,और काम करने के लिए रिश्वत,
को अपना अधिकार मान बैठे हैं। हितग्राही चक्कर लगाते-लगाते थक चुका है, और अफसर “बिना चढ़ावे काम नहीं होगा” की मानसिकता से बाहर निकल ही नहीं रहे।
इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित किया है कि जब आम नागरिक हिम्मत करता है, तो भ्रष्टाचारियों को बचना मुश्किल हो जाता है। यह घटनाक्रम न केवल एक अधिकारी की गिरफ्तारी है, बल्कि पूरे सिस्टम को आईना दिखाने जैसा है।ऐसे अफसर जनता की योजनाओं पर भरोसा तोड़ते हैं और अपनी कुर्सी का दुरुपयोग करते हुए खुद को व्यवस्था से ऊपर समझने लगते हैं।
लेकिन एसीबी की इस कार्रवाई ने साफ संदेश दिया है
“घूस लेने वालों का अब कोई बचाव नहीं… कानून का जाल भले शांत हो पर मजबूत है।”