
जल, जंगल और जमीन केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं हैं, बल्कि ये हमारी संस्कृति, सभ्यता और जीवन की नींव हैं। जिस प्रकार शरीर में प्राण का होना आवश्यक है, उसी प्रकार पृथ्वी पर जीवन के लिए जल, जंगल और जमीन का होना अनिवार्य है।
लेकिन आज यह त्रिकोण गंभीर संकट से गुजर रहा है। नदियाँ सूख रही हैं, तालाब पाटे जा रहे हैं, जंगल कट रहे हैं, जैव-विविधता समाप्त हो रही है और जमीन बंजर होती जा रही है। यदि अब भी हम नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें माफ़ नहीं करेंगी।
हमारा मिशन
हमारा मिशन है – “जल, जंगल और जमीन को बचाना, उनका संरक्षण करना और उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना।”
1. जल संरक्षण
- वर्षा जल संग्रहण को प्रोत्साहित करना।
- नदियों, तालाबों और कुओं की सफाई और पुनर्जीवन।
- प्लास्टिक और केमिकल से होने वाले जल प्रदूषण को रोकना।
- हर गाँव और शहर में “हर बूँद की कीमत समझो” अभियान चलाना।
2. जंगल संरक्षण
- बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और हरित पट्टी का निर्माण।
- अंधाधुंध कटाई रोकने के लिए कड़े नियम और जागरूकता।
- वन्य जीवों और पक्षियों के प्राकृतिक आवास की रक्षा।
- आदिवासी और ग्रामीण समुदायों को जंगल संरक्षण में साझेदार बनाना।
3. जमीन संरक्षण
- मिट्टी की उर्वरता बचाने के लिए प्राकृतिक खेती और जैविक खाद को बढ़ावा देना।
- बंजर भूमि का पुनर्विकास।
- भूमि प्रदूषण को रोकना और कचरे का उचित निपटान।
- शहरीकरण और औद्योगिकीकरण से जमीन के अंधाधुंध उपयोग को रोकने के प्रयास।
हमारा संकल्प
हम मानते हैं कि –
- जल है तो जीवन है।
- जंगल है तो सांस है।
- जमीन है तो अस्तित्व है।
यदि ये तीनों सुरक्षित रहेंगे, तभी इंसानियत का भविष्य सुरक्षित रहेगा।
इसलिए हम सब मिलकर यह संकल्प लेते हैं कि –
- अपने घर, गाँव, शहर और खेतों में जल संरक्षण के उपाय करेंगे।
- एक-एक पेड़ लगाकर जंगल बचाने का प्रयास करेंगे।
- मिट्टी और जमीन की उर्वरता बनाए रखने के लिए रासायनिक प्रदूषण से बचेंगे।
हमारा आह्वान
हम सभी से निवेदन करते हैं –
आओ, मिलकर जल, जंगल और जमीन को बचाने का आंदोलन चलाएँ।
यह केवल एक मिशन नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के जीवन और अस्तित्व की लड़ाई है।
जल बचाओ – जीवन बचाओ | जंगल बचाओ – सांस बचाओ | जमीन बचाओ – भविष्य बचाओ