
नशा मुक्ति: एक सामाजिक संकल्प
प्रेमनगर, 20 जून 2025: प्रेमनगर मुख्यालय बाजार में शुक्रवार को एक व्यापक जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य नशा मुक्ति, साइबर फ्रॉड से बचाव और यातायात नियमों के प्रति स्थानीय समुदाय को जागरूक करना था। उप निरीक्षक मनोज सिंह के कुशल मार्गदर्शन में आयोजित इस अभियान ने ग्रामीणों को नशे की लत से दूर रहने, ऑनलाइन ठगी से सतर्क रहने और सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया। यह कार्यक्रम न केवल सामाजिक जागरूकता का एक प्रभावी मंच साबित हुआ, बल्कि ग्रामीण समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी रहा।
अभियान का उद्देश्य और महत्व
उप निरीक्षक मनोज सिंह ने अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में नशा, साइबर अपराध और सड़क दुर्घटनाएं समाज के लिए गंभीर चुनौतियां बन गई हैं। उन्होंने बताया कि छोटी-छोटी सावधानियां बरतकर इन समस्याओं से बचा जा सकता है। “हमारा उद्देश्य हर ग्रामवासी तक यह संदेश पहुंचाना है कि नशा न केवल व्यक्ति को, बल्कि पूरे परिवार और समाज को बर्बाद करता है। साथ ही, ऑनलाइन ठगी और सड़क दुर्घटनाओं से बचने के लिए जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी है,” उन्होंने जोर देकर कहा।
इस अभियान के तहत ग्रामीणों को नशे के दुष्प्रभावों, साइबर ठगी के तरीकों और यातायात नियमों की विस्तृत जानकारी दी गई। उप निरीक्षक मनोज सिंह ने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि कैसे छोटी सावधानियां, जैसे बाइक चलाते समय हेलमेट पहनना या अनजान लिंक पर क्लिक न करना, बड़े नुकसान से बचा सकती हैं।
नशा मुक्ति: एक सामाजिक संकल्प
कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण रहा नशा मुक्ति का संकल्प। उपस्थित सभी लोगों ने नशे से दूर रहने और अपने परिवार व समाज को नशामुक्त बनाने की शपथ ली। इस दौरान नशे के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दुष्प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की गई। ग्रामीणों को बताया गया कि नशा केवल एक व्यक्ति की जिंदगी को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह पूरे समुदाय की प्रगति में बाधा बनता है।
साइबर फ्रॉड से बचाव: डिजिटल युग की जरूरत
आज के डिजिटल युग में साइबर फ्रॉड एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। इस अभियान में ग्रामीणों को ऑनलाइन ठगी से बचने के उपाय सिखाए गए। उप निरीक्षक मनोज सिंह ने बताया कि अनजान कॉल्स, लुभावने ऑफर और फर्जी वेबसाइट्स के जाल में फंसने से बचना चाहिए। उन्होंने कुछ वास्तविक घटनाओं का उदाहरण देते हुए समझाया कि कैसे साइबर अपराधी लोगों की मेहनत की कमाई को ठग लेते हैं। ग्रामीणों को सलाह दी गई कि वे अपने बैंक खाते, ओटीपी और अन्य निजी जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
यातायात नियम: सड़क सुरक्षा का मूल मंत्र
सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यातायात नियमों के पालन पर विशेष जोर दिया गया। उप निरीक्षक मनोज सिंह ने कहा, “बाइक चलाते समय हेलमेट पहनना न केवल एक नियम है, बल्कि यह आपकी जिंदगी की सुरक्षा का पहला कदम है।” उन्होंने ग्रामीणों को नशे में वाहन न चलाने, गति सीमा का पालन करने और ट्रैफिक सिग्नल का सम्मान करने की सलाह दी। इस दौरान कुछ सड़क दुर्घटनाओं के उदाहरण भी साझा किए गए, जो लापरवाही के कारण हुई थीं।
सामुदायिक सहभागिता: अभियान की सफलता का आधार
इस अभियान की सफलता में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम में आरक्षक महेंद्र पटेल, विजय चौबे, परमेश्वर राजवाड़े, हरिश्चंद्र दास, महिला आरक्षक सिद्धू कुजूर, गीता सिंह, अंजू सिंह, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और बाजारवासी शामिल हुए। सभी ने एकजुट होकर इस सामाजिक पहल को समर्थन दिया। आरक्षकों ने ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित कर उनकी शंकाओं का समाधान किया और जागरूकता संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
निरंतर प्रयास: जागरूकता का सिलसिला जारी
उप निरीक्षक मनोज सिंह ने बताया कि यह अभियान केवल एक दिन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे निरंतर सभी गांवों और समुदायों तक पहुंचाया जाएगा। पुलिस विभाग द्वारा समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि समाज में जागरूकता का स्तर बढ़े और अपराधों में कमी आए। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे इस अभियान के संदेश को अपने परिवार और पड़ोसियों तक पहुंचाएं, ताकि एक सुरक्षित और नशामुक्त समाज का निर्माण हो सके।
निष्कर्ष: एक सशक्त समाज की ओर कदमप्रेमनगर में आयोजित यह जागरूकता अभियान न केवल एक सामाजिक पहल था, बल्कि यह एक सशक्त और जागरूक समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था। नशा मुक्ति, साइबर फ्रॉड से बचाव और यातायात नियमों के प्रति जागरूकता जैसे विषयों पर केंद्रित इस कार्यक्रम ने ग्रामीणों को नई दिशा दिखाई। उप निरीक्षक मनोज सिंह और उनकी टीम की यह पहल निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होगी।
इस अभियान ने एक बार फिर साबित किया कि जागरूकता और सामुदायिक सहयोग से किसी भी सामाजिक समस्या का समाधान संभव है। प्रेमनगर के इस प्रयास से अन्य क्षेत्रों को भी प्रेरणा मिलेगी और एक सुरक्षित, नशामुक्त और जागरूक समाज के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ेंगे।