छत्तीसगढ़ Sukma

2.92 करोड़ की सड़क साल भर में ही उखड़ गई, शिकायतों के बाद भी सुधार नहीं...!

by admin on | Dec 26, 2024 04:49 PM

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2.92 करोड़ की सड़क साल भर में ही उखड़ गई, शिकायतों के बाद भी सुधार नहीं...!

सड़क की जर्जर हालत का ज़िम्मेदार कौन..? कोई नहीं ले रहा सुध -सड़क की हालत जर्जर उग आये घांस...!

2.92 करोड़ की सड़क साल भर में ही उखड़ गई, शिकायतों के बाद भी सुधार नहीं...!

अधिकारी एवं ठेकेदार पर कई सवाल खड़े करती आम जनता?

"सुकमा संवाददाता" 

सुकमा -: सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड से आए दिन हैरान कर देने वाले मामले सामने आते रहते हैं। हाल ही में अजब-गजब कारनामों के लिए कोंटा विकासखंड के आसापास गांवों में सड़क चर्चा का विषय बन गया। दरअसल, मुरलीगुड़ा से इतकल जाने वाली सड़क मार्ग में पीडब्ल्यूडी विभाग ने 2.92 करोड़ की लागत से सड़क निर्माण करवाया था। लेकिन डेढ़ साल बीतने से पहले ही सड़क पर घांस उग आएं हैं। सड़क की जर्जर हालत देख कर ग्रामीणों में आक्रोश हैं। सड़क पूरी तरह उखाड़ गयी हैं पतली डामर की परत अपनी जमीनी पकड़ छोड़ दी हैं। उक्त सड़क पर अवागमन के नाम पर केवल ट्रैक्टर, बैलगाड़ी और दो चक्का वाहनों का आना जाना होता हैं। ऐसे में सड़क की जर्जर हालत अधिकारी एवं ठेकेदार पर सवाल खड़े करती हैं कि करोड़ों की लागत से बनी सड़क पर निगरानी क्यों नहीं किया गया। ग्रामीणों ने बताया सड़क 5.7 किलोमीटर के नाम पर बनाया गया किंतु सड़क मात्र 3.2 किलोमीटर ही बनी हैं। अगर सरकार ग्रामीण क्षेत्र के विकास के नाम पर पैसा खर्च करती है और विकास अधूरा रह जाता हैं तो इसका जिम्मेदार कौन माना जाएगा। ग्रामीण आंचलों में बनी सड़क विकास की नींव मानी जाती है ग्रामीणों का विश्वास सरकार के विकास पर होता है जब गांव में पक्की काली सड़क बनती है। लेकिन अफसर सरकार-ग्रामीणों के बीच के विश्वास को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते।  सड़क बनते ही साल भर से पहले जर्जर होने लगती हैं ग्रामीणों में खुशी की जगह आक्रोश नजर आने लगता हैं। 


छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही भाजपा सायं सरकार पर विकास का जिम्मेदारी और परिवर्तन का जिम्मा सौंपा हैं। सायं सरकार के नेतृत्व में नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के ग्रामीण इलाकों में सड़कों का जाल बिछाकर सरकार विकास से जोड़ने की कार्ययोजना बना रही है। इसके लिए हर साल करोड़ों रूपए स्वीकृत किए जाते हैं। सरकार द्वारा ईमानदारी से किए जा रहे सार्थक प्रयासों पर विभाग के जिम्मेदार अफसर ही पानी फेरते नजर आ रहे हैं। नक्सलवाद के आड़ में क्वालिटी से समझौता किया जा जाता है। कोंटा मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर इतकल गांव जाने के लिए दशकों बाद एक पक्की सड़क बनी थी। लेकिन सड़क भी साल भर होने से पहले ही दम तोड़ दी। कर बार शिकायत किया गया तो कई बार जिम्मेदारों को पत्राचार के माध्यम से जिम्मेदारों को इतिलाह किया गया लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उक्त सड़क को पोटाकेबिन कोंटा से चिंताकोंटा टेटराई रोड तक बनी 5.7 किमी लंबी सड़क के नाम से दर्शाया गया हैं जो कई सवाल खड़ी करती हैं। लेकिन विकास वाली सड़क देखने से ही निर्माण के दौरान बरती गई अनियमितता साफ नजर आ रहा है। तकनीकी मानकों को दरकिनार किए जाने से सड़क गारंटी पीरियड मेंं ही उखड़ने लगी है। उक्त सड़क पर ट्रैफिक का दबाव भी नहीं है। गांव को लोग दो पहिया वाहन, ट्रैक्टर और बैलगाड़ी से कोंटा तक आना जाना करते हैं। इतकल गांव के युवक ने बताया कि गांव में जब सड़क बनी थी तो हम बेहद खुश थे कि गांव में अब पक्की सड़क बनी है लेकिन सड़क कुछ महीने में ही उखड़ने लगीं। जिसकी शिकायत हमने किया था उस वक्त कोंटा एसडीओ रेशम लाल सूर्यवंशी ने कहा कि जल्द सड़क सुधार दिया जाएगा जो टूटा हैं उसे रिपेयर कर देंगे। लेकिन कोई सड़क ठीक करने नहीं आय अब तो पूरी सड़क की उखड़ गई हैं कई जगह घांस भी उग गए हैं। 

गांव के सलवम नारैया बताते है कि सड़क बनते तक ही शायद अधिकारी और ठेकेदार दिखते हैं सरकारी पैसा निकाल लेने के बाद सड़क से किसी को कोई वास्ता नहीं होता। सालों के इंतजार के बाद गांव में सड़क बना था लेकिन साल भर में जर्जर होने लगी गांव में केवल टाटा मैजिक या ट्रेक्टर का आना जाना हैं इसमें हो 3 करोड़ वाली सड़क टूट गई। और तो घांस भी उगने लगे हैं हमने कई बार शिकायत किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।

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